समास (Samāsa – संक्षिप्त रूप में शब्दों का प्रयोग)

संस्कृत भाषा की विशेषता है कि यह अलंकारिक होते हुए भी अत्यंत संक्षिप्त और सारगर्भित होती है। इसी विशेषता को संभव बनाता है — समास (Samāsa)। “समास” का अर्थ है संक्षेप में कहना या दो या अधिक शब्दों को मिलाकर एक शब्द बनाना

संस्कृत में, जब दो या दो से अधिक शब्द मिलकर एक नया अर्थ देने वाला शब्द बनाते हैं, तो उसे समास कहा जाता है। उदाहरण के लिए —

  • राजा का पुत्र → राजपुत्र
  • देव का आलय → देवालय
  • गुरु का आदेश → गुरूदेश

समास के चार प्रमुख प्रकार बताए गए हैं —

  1. अव्ययीभाव समास – जहाँ पहला पद अव्यय होता है, जैसे उपरि + गृहम् = उपरिगृहम्
  2. तत्पुरुष समास – जहाँ एक शब्द दूसरे पर निर्भर होता है, जैसे राज + पुरः = राजपुरुषः
  3. द्वंद्व समास – जहाँ दोनों शब्द समान महत्त्व के होते हैं, जैसे माता + पिता = मातापितरौ
  4. बहुव्रीहि समास – जहाँ समास का अर्थ दोनों शब्दों से भिन्न होता है, जैसे पीताम्बरः (पीला वस्त्र पहनने वाला)

समास के प्रयोग से वाक्य छोटे, प्रभावशाली और अर्थपूर्ण बनते हैं। यह संस्कृत भाषा को सुंदरता, लय और गहराई प्रदान करता है।

संस्कृत व्याकरण में समास का अध्ययन विद्यार्थियों को न केवल भाषा की संरचना समझने में मदद करता है, बल्कि यह भी सिखाता है कि कैसे अल्प शब्दों में अधिक अर्थ व्यक्त किया जा सकता है — यही संस्कृत की अनोखी पहचान है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *