संसाधन (Resources) वे वस्तुएँ हैं जो हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक होती हैं — जैसे भूमि, जल, वन, खनिज, और ऊर्जा। इनका सही उपयोग और संरक्षण किसी भी देश के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।
संसाधनों को दो भागों में बाँटा जाता है — नवीकरणीय (Renewable) जैसे सूर्य, हवा, जल, और अवनवीकरणीय (Non-renewable) जैसे कोयला, पेट्रोलियम और खनिज। यदि इनका अंधाधुंध दोहन किया जाए, तो पर्यावरण असंतुलन, प्रदूषण और भूमि क्षरण जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
इसलिए आज का युग सतत विकास (Sustainable Development) पर ज़ोर देता है — अर्थात् संसाधनों का ऐसा उपयोग जिससे आने वाली पीढ़ियाँ भी उनका लाभ उठा सकें।
भारत विविध संसाधनों से समृद्ध देश है, लेकिन इनका असमान वितरण क्षेत्रीय असंतुलन पैदा करता है। सरकार और समाज दोनों को मिलकर इनका संरक्षण करना चाहिए। वृक्षारोपण, वर्षा जल संचयन और रीसायक्लिंग जैसे कदम इस दिशा में बहुत उपयोगी हैं।
संसाधनों का समझदारी से उपयोग न केवल हमारे पर्यावरण की रक्षा करता है, बल्कि भारत के संतुलित और स्थायी विकास की नींव भी रखता है।